Agency:News18 Uttar Pradesh
Last Updated:February 06, 2025, 12:05 IST
Sugarcane Farming: बसंत कालीन गन्ने की बुवाई करने से पहले बीज तैयार करना एक अहम प्रक्रिया है. किसान गन्ने के ऊपरी दो तिहाई हिस्से से ही बीज तैयार करें. बीज तैयार करने के लिए गन्ने को एक या दो आंख के टुकड़ों में...और पढ़ें
गन्ना बीज
हाइलाइट्स
- बसंत कालीन गन्ने की बुवाई से अच्छा उत्पादन मिलेगा.
- गन्ने के ऊपरी दो तिहाई हिस्से से बीज तैयार करें.
- मृदा उपचार से लाल सड़न रोग का खतरा कम होगा.
सिमरनजीत सिंह/शाहजहांपुर: बसंत कालीन गन्ने की बुवाई इन दिनों किसानों द्वारा की जा रही है. फरवरी महीने में तापमान में बढ़ोतरी हो रही है. ऐसे में अगर बसंत कालीन गन्ने की बुवाई समय से कर दी जाती है, तो किसानों को अच्छा जमाव मिलेगा. लेकिन बसंत कालीन गन्ने के लिए बीज तैयार करते किसानों को कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए. बेहतर क्वालिटी का बीज तैयार कर अगर गन्ने की फसल की बुवाई की जाएगी, तो किसानों को अच्छा उत्पादन मिलेगा.
उत्तर प्रदेश गन्ना शोध संस्थान के प्रसार अधिकारी डॉ संजीव कुमार पाठक ने बताया कि बसंत कालीन गन्ने की बुवाई बेहद ही अच्छी मानी जाती है. लेकिन किसान गन्ने की बुवाई करते समय अच्छी क्वालिटी के बीज का इस्तेमाल करें. बीज तैयार करते समय ध्यान रखें कि गन्ने के जिस भाग को चुना जाए. उसमें सभी बड़ स्वस्थ होनी चाहिए. स्वस्थ बड़ से ही स्वस्थ कल्ले निकलेंगे, जो बाद में गन्ने में तब्दील होंगे. इसके अलावा किस्म का ध्यान जरूर रखें. किस्म का सही चुनाव करने से किसानों को कम लागत में अच्छा उत्पादन मिलेगा. इसके अलावा गन्ने की विधि और खेत की जुताई करते समय भी जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए. गन्ने की बुवाई से पहले मृदा उपचार जरूर कर लें ताकि लाल सड़न रोग के खतरे को कम किया जा सके.
कैसे करें गन्ने का बीज तैयार
गन्ने की फसल की बुवाई करने से पहले बीज तैयार करना एक अहम प्रक्रिया है. बीज तैयार करते समय किसानों को कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए. बीज तैयार करने के लिए हमेशा स्वस्थ गन्ने का ही चुनाव करना चाहिए, जो कि रोग रहित हो. इसके अलावा गन्ने की बीज की कटाई करते समय ध्यान रखें कि गन्ने के ऊपरी दो तिहाई हिस्से का ही बीज बनाया जाए. ट्रेंच विधि से गन्ने की फसल की अगर बुवाई कर रहे हैं तो एक से दो आंख के टुकड़ों को काटकर तैयार कर लें. तैयार किए गए बीच में अच्छी तरीके से छटनी कर लें, ताकि कोई भी रोगग्रस्त या छतिग्रस्त बड़ का इस्तेमाल बुवाई के लिए ना हो. गन्ने के शेष बचे हुए भाग को किसान बेच सकते हैं. उस हिस्से में शर्करा की मात्रा ज्यादा पाई जाती है.
ऐसे करें मृदा उपचार
खेत की गहरी जुताई करने के बाद मिट्टी को भुरभुरा बना लें. गन्ने की बुवाई से पहले मृदा उपचार जरूर करें. अंतिम जुताई के समय 4 किलोग्राम ट्राइकोडर्मा को प्रति एकड़ के हिसाब से इस्तेमाल करें. ट्राइकोडर्मा को गोबर की सड़ी हुई खाद में मिलाकर खेत की अंतिम जुताई के समय मिट्टी में बिखेर कर खेत को समतल कर लें और उसके बाद ट्रेंच डिगर से नाली बना ले. मृदा उपचार करने से लाल सड़न रोग का खतरा कम हो जाएगा.
ट्रेंच विधि से करें गन्ने की बुवाई
किसान गन्ने की बुवाई करते समय ट्रेंच विधि का इस्तेमाल करें. ट्रेंच विधि से गन्ने की बुवाई करने से किसानों को अच्छा उत्पादन मिलेगा. लेकिन गन्ने की बुवाई से पहले खेत की जुताई करना जरूरी है. किसान की गहरी जुताई कर मिट्टी को अच्छे से भुरभुरी बना लें. उसके बाद ट्रेंच डिगर से 1 फीट चौड़ी और 20 से 25 सेंटीमीटर गहरी नाली बनाकर एक से दो आंख वाले टुकड़ों की बुवाई कर सकते हैं.
Location :
Shahjahanpur,Uttar Pradesh
First Published :
February 06, 2025, 12:05 IST
ऐसे तैयार करें गन्ने का बीज, बेहतर होगा जमाव, कम लागत में मिलेगा बंपर उत्पादन